महाशिवरात्रि 2021: 101 साल बाद आ रहा शिवरात्रि का विशेष योग, शिव-सिद्धियोग में होगा पूजन
महाशिवरात्रि 2021: 101 साल बाद आ रहा शिवरात्रि का विशेष योग, शिव-सिद्धियोग में होगा पूजन
शिव और शक्ति के मिलन के पर्व महाशिवरात्रि पर इस साल कई खास योग बन रहे हैं। 11 मार्च को पड़ रही महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। ऐसे में महाशिवरात्रि पर्व की पूजा विधि-विधान के साथ करने से विशेष कल्याणकारी मानी जा रही है।
महाशिवरात्रि देवों के देव महादेव शिव-शंभू, भोलेनाथ शंकर की आराधना, उपासना का त्योहार है। महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी को मनाया जाता है। 11 मार्च गुरुवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी मिल रही हैं।
वहीं महाशिवरात्रि का पर्व शिव योग, सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग के साथ आने से और भी अधिक प्रभावकारी बताया जा रहा है। पुराणों में वर्णन है कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था।
महाशिवरात्रि की रात बहुत विशेष
- भगवान शिव के विवाह में सिर्फ देव ही नहीं दानव, किन्नर, गंधर्व, भूत, पिशाच भी शामिल हुए थे। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को गंगाजल, दूध, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से स्नान करवाया जाता है।
- फिर चंदन लगाकर फल-फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेर इत्यादि अर्पित किए जाते हैं। रात की प्रथम प्रहर की पूजा 7.26 मिनट से शुरू होगी। निशिता काल की पूजा का समय रात 12. 59 मिनट से 1.47 मिनट तक रहेगी।
- वैज्ञानिक दृष्टि से महाशिवरात्रि की रात बहुत विशेष होती है। दरअसल इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस तरह अवस्थित होता है कि इंसान के अंदर की ऊर्जा प्राकृतिक तौर पर ऊपर की तरफ बढ़ने लगती है।
- यानी प्रकृति खुद ही मानव को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में सहायता करती है। इसका पूरा फायदा लोगों को तभी प्राप्त हो सकता है, जब महाशिवरात्रि की रात में जागरण किया जाए।
101 साल बाद महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग
- निशित काल पूजा मुहूर्त: 11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
- पहला प्रहर: 11 मार्च की शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक
- दूसरा प्रहर: रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
- तीसरा प्रहर: रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक
- चौथा प्रहर: 12 मार्च की सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक
- महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त: 12 मार्च, सुबह 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक
- भगवान भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर तीन पत्तों वाला 108 बेल पत्र चढ़ाएं.
- भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. ऐसी मान्यता है कि उन्हें भांग बेहद पसंद है.
- इसके अलावा धतूरा और गन्ने का रस शिव शंभू को जरूर अर्पित करें.
- जल में गंगाजल मिलाएं और शिवलिंग पर चढ़ाएं
- ऐसे करें शिव रात्रि पर भगवान शिव की पूजा
- रात्रि की पूजा करने से पहले स्नान जरूर कर लें
- पूरी रात्रि भगवान शिव के समक्ष एक दीपक जरूर जलाएं.
- उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं
- इसके बाद केसर के 8 लोटे से जल अर्पित करें.
- फिर चंदन का तिलक लगाएं
- अब तीन पत्तों वाला 108 बेलपत्र चढ़ाएं,
- भांग, धतूरा, गन्ने का रस भी उन्हें काफी पसंद है. ऐसे में उन्हें जरूर अर्पित करें
- इसके अलावा तुलसी, जायफल, फल, मिष्ठान, कमल गट्टे, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा भी चढ़ाना न भूलें.
- इस दौरान ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करते रहें.
- अंतिम में केसर से बने खीर का प्रसाद शिव जी को चढ़ाएं
- शिव पुराण पढ़े, चालीसा और आरती करें.
- संभव हो तो रात्रि जागरण करें
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